डिपार्टमेंट ऑफ बायो साइंस एंड बायो इंजीनियरिंग, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जोधपुर (आईआईटी) और जिले में सक्रिय कार्य कर रही आई लव जैसलमेर संस्था के संयुक्त प्रयास के साथ जैसलमेर जिले के छात्रों तक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ाने के लिए 'विज्ञान कार्यशाला' का आयोजन किया गया। इस श्रृंखला की दूसरी कार्यशाला स्थानीय करणी बाल मंदिर उमावि में आयोजित की गई, जिसमें लगभग 40 छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने भाग लिया। इंडिया बायो साइंस के सहयोग से आयोजित इन कार्यशालाओं का उद्देश्य विज्ञान को जैसलमेर के क्षेत्रों में पहुंचाकर विज्ञान के प्रति छात्रों को प्रेरित करना है, ताकि वे विभिन्न वैज्ञानिक माध्यमों से सामाजिक समस्याओं के निवारण के लिए प्रेरित हो सकें। 'एंटी माक्रोबियल प्रतिरोध के खिलाफ लड़ने के लिए युवाओं को शामिल करना' विषय पर आधारित इन कार्यशालाओं में छात्रों को एंटी माक्रोबियल रेजिस्टेंस और सूक्ष्म जीवों के बारे में जानकारी दी गई। कार्यशाला में सहायक आचार्य बायो साइंस डॉ. नेहा जैन ने रेगिस्तान के परिवेश में उपस्थित सूक्ष्म जीवों की भी छात्रों को स्लाइड्स और फोल्डस्कोपे के माध्यम से रोचक जानकारी दी। स्लाइड्स के माध्यम से मानव शरीर और वातावरण में उपस्थित सूक्ष्म जीव कैसे स्वास्थ्य पर असर करते हैं और उनसे संबंधित विषय जैसे स्वच्छ पीने का पानी, स्वच्छता, कोविड महामारी में इनकी भूमिका और उनके समाधान पर चर्चा की। इन कार्यशालाओं में फोल्ड स्कोप (पेपर माइक्रोस्कोप) के साथ छात्रों को सूक्ष्म जीव पर विस्तार से जानकारी के साथ फोल्ड स्कोप पर प्रैक्टिकल कार्य भी कराया गया। फोल्ड स्कोप, जिसका आविष्कार स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी यूएसए के डॉ. मनु प्रकाश ने किया है, छात्रों को सूक्ष्म जीव का वास्तविक (प्रैक्टिकल) ज्ञान देने में बहुत सहायक रहा। थर्ड इंडिया बायो साइंस आउटरीच ग्रांट अवार्ड प्रोग्राम की श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए यह पहल जैसलमेर जिले एवं राजस्थान के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सरकारी विद्यालयों में इनका आयोजन करेगी, जहां उच्च शिक्षा का अभाव है। गत वर्ष 2022 में इसी श्रृंखला में सेकंड इंडिया आउटरीच ग्रांट के तहत जैसलमेर जिले में कई सरकारी स्कूलों में विज्ञान कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अंत में व्यवस्थापक बाबूदान चारण ने अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए प्रतीक चिह्न भेंट किया।